
पार्टी के कामकाज को लेकर पिता से मतभेद के बाद उठाया कदम आतंकवादी हिंसा, शिया समुदाय के खिलाफ हमले और चुनाव में टिकट बंटवारे जैसे मुद्दों पर बिलावल का जरदारी के अलावा अपनी बुआ फारयाल तालपुर से भी मतभेद था। सूत्रों के मुताबिक, बिलावल का मानना था कि पीपीपी ने मलाला यूसुफजई पर तालिबान के हमले, क्वेटा में शिया समुदाय के लोगों पर अटैक और कराची हिंसा जैसे मुद्दों को मजबूती से नहीं उठाया। वह युवाओं पर असर डालने वाले मुद्दों पर पार्टी के रुख से भी खासे नाराज थे। सूत्रों का कहना है कि बिलावल की बुआ ने सिंध प्रांत में उन उम्मीदवारों को टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिनकी सिफारिश खुद बिलावल ने की थी।
पीपीपी बिलावल को स्टार प्रचारक के रूप में पेश कर रही थी, क्योंकि राष्ट्रपति होने के कारण जरदारी चुनाव प्रचार नहीं कर सकते। पीपीपी के महासचिव लतीफ खोसा ने कहा, शायद सुरक्षा कारणों से बिलावल चुनावी सभाओं में शामिल नहीं हो सकें, लेकिन टेलीफोन के जरिए सभाओं को संबोधित करने की उम्मीद है।
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