
सबसे पहले बात करते हैं देशभर की महिलाओं की। दिल्ली गैंगरेप के बाद
पूरे हिंदुस्तान में महिलाओं की आजादी और सुरक्षा की जो मांग चली थी, वह
होली पर भी जारी है। देशभर के लोग इस होली पर महिलाओं की आजादी के पक्ष में
हैं। इ सकी शुरूआत होली से क्यों नहीं की जाए। अब तक गली मोहल्लों से
लेकर सड़क तक पर होली के दिन मर्दों का ही कब्जा रहता है। महिलाएं सड़क पर
निकलते हुए डरती हैं। तो क्यों नहीं इस बार महिलाओं को सड़क पर निकाला
जाए। क्योंकि महिलाओं के खिलाफ अपराध तभी कम होंगे, जब खुद महिलाएं सड़क
पर उतरेंगी। यह पहली बार है कि होली पर महिलाओं को घर से बाहर निकाल कर
सुरक्षित होली खेलने का माहौल देश में बन रहा है।
परंपराओं के बंधन को तोड़ते हुए सैकड़ों विधवाओं ने भगवान कृष्ण की इस
धरती पर गुलाल और फूलों से होली खेली। वृंदावन के आश्रमों में रविवार को
शुरू हुए चार दिवसीय होली महोत्सव में करीब 800 विधवाओं ने भाग लिया। होली
महोत्सव के तहत परंपरागत ‘रास लीला’ नृत्य और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भी
किया गया है। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि
वृंदावन की होली विधवाओं को सदियों पुरानी परंपरा के बंधन से निकालने की
कोशिश है।
इससे पहले आश्रम में रहने वाली विधवाएं केवल ‘ठाकुरजी’ से होली खेलती
थीं। लेकिन, इस साल वे एक -दूसरे के साथ भी इस पर्व के रंगों का आनंद उठा
सकेंगी। पाठक ने कहा कि यह महोत्सव इन विधवाओं के खिलाफ सामाजिक पूर्वाग्रह
को समाप्त करने की दिशा में अभूतपूर्व कदम है।
35 सालों में यह पहला अवसर होगा, जब जयपुर में हाथी महोत्सव नहीं
होगा। पर्यटन विभाग की रोक के बाद हाथी मालिकों ने बगावती तेवर अपनाए और
आमेर युवक कांग्रेस के साथ सोमवार को आमेर में ऐसा महोत्सव मनाने की तैयार
कर ली। ऐन वक्त पर पुलिस ने पाबंदी लगा दी। बाद में एक नया रास्ता निकालते
हुए बिना हाथी के ही आमेर महोत्सव के नाम से कल्चरल प्रोग्राम की अनुमति
देकर पुलिस ने देशी-विदेशी पर्यटकों और आयोजकों को राजी किया। हालांकि
आयोजक यह कहते रहे कि उन्होंने तीन दिन पहले पुलिस एसपी, उत्तर से यहां इस
तरह के आयोजन की अनुमति ले ली थी। सभी मेहमानों को भी आमंत्रित कर लिया था।
जगह बुक कराने, टैंट, कलाकार और दूसरे खर्चों के नाम पर एक लाख से ज्यादा
खर्च हो गया।
ऐन मौके पर पाबंदी
आमेर थाना प्रभारी मुकेश कुमार वर्मा के मुताबिक कुछ लोगों की ओर से
आमेर एलिफेंट फेस्टिवल मनाने की योजना थी, लेकिन सरकार पहले से ही इस तरह
का आयोजन करती आ रही है। ऐसे में परमिशन नहीं दी गई।
पूर्व महारानी गायत्री देवी की पहल पर हुई थी शुरुआत
पर्यटन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक आमेर महल और रॉयल फैमिली से
जुड़े हाथी परिवारों से सलाह कर पूर्व महारानी गायत्री देवी ने इस महोत्सव
की शुरुआत 80 के दशक में की थी। वे उस समय आरटीडीसी की चेयरमैन हुआ करती
थीं। इसके बाद यह महोत्सव सिटी पैलेस, फिर खासाकोठी कैंपस में होने लगा। जब
इसकी इंटरनेशनल ब्रांडिग बढ़ी और पर्यटक खासतौर पर इसी को देखने के लिए
यहां आने लगे, तो सरकार ने इसका वेन्यू चौगान स्टेडियम कर दिया। चौगान में
खेल विभाग की आपत्ति के बाद तीन साल तक यह इवेंट पोलो ग्राउंड पर हुआ। यह
पहली बार होगा, जब दिनभर होली महोत्सव तो होगा, लेकिन इसका आधार हाथी वहां
मौजूद नहीं होंगे।
हाथी मालिकों ने दिखाए बगावती तेवर

घर से सैकड़ों किमी दूर सैनिकों के लिए इस बार की होली खास होने वाली
है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे पहली बार जवानों के साथ होली
मनाएंगे। सूत्रों का कहना है कि शिंदे होली का त्यौहार राजस्थान बॉर्डर पर
जवानों के साथ मनाएंगे। जैसलमेर के तनोट बार्डर पर यह होली मनाई जाएगी।
इसके लिए जवानों ने तैयारी शुरू कर दी है।